शुक्रवार, 8 अप्रैल 2016

25 लीटर पानी की भारी कीमत चुकानी पड़ती है यहां



कभी किताबी बातें होती थी-जल ही जीवन है पर आज हर ओर यह दिखाई देने लगा है। सूखा, खेती के लिए पानी और अब पीने के पानी के लाले पड़ते दिख रहे हैं। कुछ ऐसा ही पिछले दो दशकों से धनबाद (झारखंड) में हो रहा है। वहां पर 65 प्रतिशत कुएं सूख चुके हैं यही हाल हैंडपंप का भी जहां 88 प्रतिशत हैंडपंपजल के स्थान पर हवा दे रहे हैं। उबाड़-खबाड़ रास्ते, पर्वत व जंगलों से भरे झरिया बकरीहाट में तो यह स्थिति बन चुकी है कि पानी के लिए 100 परिवार जान पर खेलकर 300 फीट नीचे गहरी खाई में उतर कर पत्तों की पाइपलाइन बनाकर खदान से रिस रहे जल को जमा कर रहे हैं। जहां पर 25 लीटर के गैलन को भरने में लगभग 3 घंटे लगते हैं।

पिछले 20 वर्षों से बंद इस खदान के दोनों ओर से हर समय पानी रिसता रहता है जिससे गांववासी अपनी प्यास बुझाते हैं। वे इस पानी को पत्थरों व पत्तों के साफ करते हैं व बर्तन में भर कर घर लाते हैं जिसके लिए 4 से 6 घंटे का समय लगता हैं।

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