शनिवार, 22 फ़रवरी 2025

ई-वेस्ट से हर साल कमा रहे ₹500 करोड़

नोएडा की अटेरो रिसाइक्लिंग ने कैसे बदली भारत की 'कचरा' किस्मत?

2008 में जब नितिन गुप्ता और रोहन गुप्ता ने अटेरो रिसाइक्लिंग की शुरुआत की, तो लोगों ने उन्हें पागल समझा। आज, यह कंपनी भारत की सबसे बड़ी ई-वेस्ट रिसाइक्लिंग फर्म है, जो हर साल 3 लाख टन इलेक्ट्रॉनिक कचरे को संभालती है और ₹500 करोड़+ का टर्नओवर करती है। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और भारत सरकार जैसे ग्राहकों के साथ, अटेरो ने ई-वेस्ट को "ग्रीन गोल्ड" में बदलने का रास्ता दिखाया है।


शुरुआत: IITians जिन्होंने अमेरिकी नौकरी छोड़कर कचरे को चुना

नितिन (IIT कानपुर और स्टैनफोर्ड के पूर्व छात्र) और रोहन (IIT दिल्ली) ने अमेरिका में मल्टीनेशनल कंपनियों में नौकरी छोड़कर भारत में ई-वेस्ट की समस्या का समाधान ढूँढ़ने का फैसला किया। नितिन कहते हैं, "2007 में हमने देखा कि भारत में 90% ई-वेस्ट जहरीले कबाड़खानों में जलाया जाता है। हमने सोचा—यही हमारा मिशन होगा।"



चुनौतियाँ: वो 5 साल जब बैंकों ने कहा—"यह बिज़नेस नहीं चलेगा"

फंडिंग संकट: 2008 के वित्तीय संकट में 50 करोड़ का फंड जुटाना नामुमकिन था। अटेरो को पहला ब्रेक तब मिला जब वेंचर कैपिटल फंड्स ने 2009 में ₹20 करोड़ दिए।

टेक्नोलॉजी का अभाव: भारत में ई-वेस्ट रिसाइक्लिंग की कोई बड़ी तकनीक नहीं थी। अटेरो ने जर्मनी और जापान से मशीनें मँगाकर हाइड्रोमेटलर्जिकल प्रोसेस विकसित किया।
कानूनी लड़ाई: 2016 तक ई-वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स सख्त नहीं थे। अटेरो ने सरकार के साथ मिलकर नीतियाँ बनवाने में मदद की।


सफलता का फॉर्मूला: 3 मंत्र जिन्होंने बदली गेम

Urban Mining: ई-वेस्ट से सोना, चाँदी, लिथियम और कोबाल्ट निकालना। अटेरो का दावा है कि वे 1 टन मोबाइल फोन से 300 ग्राम सोना निकालते हैं, जो सोने की खान से 50 गुना ज्यादा है!
Circular Economy: निकाले गए मेटल्स को टेस्ला जैसी कंपनियों को इलेक्ट्रिक व्हीकल बैटरी बनाने के लिए बेचना।
AI-Powered Sorting: ई-वेस्ट को 90% एक्यूरेसी के साथ अलग करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल

आँकड़े जो चौंकाते हैं:

राष्ट्रीय स्तर: अटेरो ने अब तक 6 लाख टन ई-वेस्ट रिसाइकिल कर 50 टन सोना और 1,000 टन ताँबा रिकवर किया है।
वैश्विक पहचान: 2022 में अटेरो को ग्लोबल क्लीनटेक 100 लिस्ट में जगह मिली, जहाँ दुनिया की टॉप ग्रीन टेक कंपनियाँ शामिल हैं।
सरकारी साझेदारी: 2023 में अटेरो ने ई-वेस्ट से लिथियम रिकवरी के लिए भारत सरकार के साथ MoU साइन किया।



पर्यावरण और समाज पर प्रभाव:

क्लीन एनर्जी: अटेरो के रिसाइकल किए गए मेटल्स से 5 लाख+ सोलर पैनल बने हैं।
रोजगार: 15 राज्यों में 1,200+ कर्मचारी, जिनमें 40% महिलाएँ हैं।
जहर पर अंकुश: 10,000+ टन लैड और मर्क्युरी को लैंडफिल में जाने से रोका गया।



भविष्य की योजनाएँ: 2025 तक 5 नए प्लांट्स

नितिन गुप्ता के मुताबिक, अटेरो अगले दो साल में गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक में नए प्लांट्स लगाएगा। लक्ष्य है 2027 तक ₹2,000 करोड़ टर्नओवर और यूरोप-अमेरिका में एक्सपोर्ट को दोगुना करना।
गूगल और Apple जैसे दिग्गज क्यों हैं पार्टनर?
Google अपने डेटा सेंटर के ई-वेस्ट को अटेरो को देता है।
Apple ने 2022 में घोषणा की कि उनके iPhones में अटेरो का रिसाइकल्ड टिन इस्तेमाल होगा।
भारत सरकार ने 2023 में अटेरो को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए टेंडर दिया।


अटेरो की कहानी साबित करती है कि "कचरा" दरअसल गलत जगह पड़ा संसाधन है। जैसा कि नितिन कहते हैं, "हमारा मिशन सिंगल-यूज प्लैनेट की मानसिकता को बदलना है।" जलवायु परिवर्तन के इस दौर में, अटेरो जैसी कंपनियाँ भारत को ग्रीन सुपरपावर बनाने का रास्ता दिखा रही हैं।



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