"कर्ज़ देने के नाम पर जान ले रहे हैं ये ऐप्स!"
दिल्ली के 24 वर्षीय राहुल (नाम बदला हुआ) ने एक "फ़्लैश लोन" ऐप से ₹15,000 का कर्ज़ लिया। एक महीने बाद, ब्याज की दर 1,000% पहुँच गई। जब वह चुका नहीं पाया, तो ऐप ने उसके संपर्कों को भेजे अश्लील संदेश। शर्मिंदगी से तंग आकर राहुल ने आत्महत्या कर ली। यह कोई अकेली घटना नहीं—भारत में चीनी कंपनियों द्वारा संचालित 500+ फर्जी लोन ऐप्स साइबर अपराध और आत्महत्या की नई लहर पैदा कर रहे हैं।
1. 'साइलेंट किलर' कैसे काम करते हैं ये ऐप्स?
- छलावा: Play Store पर "इंस्टेंट लोन," "कैश क्रेडिट" जैसे नामों से लिस्टेड।
- डेटा चोरी: ऐप एक्सेस माँगते हैं गैलरी, कॉन्टैक्ट्स, लोकेशन, और एसएमएस।
- हैरासमेंट: डिफ़ॉल्टरों के संपर्कों को भेजे जाते हैं अपमानजनक मैसेज, मॉर्फ किए गए फोटो।
- चीनी कनेक्शन: ऐप्स के पीछे चीन-आधारित कंपनियाँ, जैसे कैश मास्टर, मनी प्लस, जो भारतीय डमी CEOs के नाम पर रजिस्टर्ड हैं।
सरकारी आँकड़े:
- 2022-23 में, भारतीय साइबर क्राइम विभाग ने 256 ऐसे ऐप्स बैन किए।
- आरबीआई के अनुसार, 90% ऐप्स गैर-रेगुलेटेड नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFCs) द्वारा चलाए जा रहे हैं।
2. असली कहानियाँ: "मेरी बेटी को ऐप ने मार डाला!"
- केस 1: हैदराबाद की 22 वर्षीया छात्रा ने ₹10,000 के लोन के लिए मनी मिंत्रा ऐप डाउनलोड किया। ब्याज बढ़कर ₹1 लाख हो गया। ऐप ने उसके पिता को फोन करके कहा— "आपकी बेटी वेश्या है।" उसने रेलवे ट्रैक पर कूदकर जान दे दी।
- केस 2: मुंबई के एक ड्राइवर को कैश गुरु ऐप ने उसकी नग्न तस्वीरें एडिट करके सोशल मीडिया पर वायरल कर दीं।
3. सरकारी कार्रवाई: बैन के बावजूद कैसे सक्रिय हैं ऐप्स?
- डिजिटल ढाल अभियान: भारत सरकार ने 2020 से अब तक 500+ चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया, लेकिन ये नए नाम और डोमेन से वापस आ जाते हैं।
- तकनीकी चुनौती: ऐप्स अब गूगल प्ले स्टोर की जगह APK फाइलों के जरिए वितरित होते हैं।
- पुलिस की शिकायत: हैदराबाद साइबर क्राइम विभाग के डीएसपी राजेश्वरी रेड्डी कहती हैं— "अधिकांश सर्वर चीन में होते हैं, जिससे ट्रैकिंग मुश्किल है।"
4. विशेषज्ञ चेतावनी: "यह डेटा युद्ध का हिस्सा है!"
- साइबर एक्सपर्ट अंकित गुप्ता: "ये ऐप्स सिर्फ पैसा नहीं, भारतीयों का डेटा चीन भेज रहे हैं। यह राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा है।"
- वकील प्रिया मेनन: "भारत में GDPR जैसा सख्त डेटा प्रोटेक्शन कानून न होने से ऐप्स फल-फूल रहे हैं।"
5. आम जनता के लिए सलाह: "कैसे बचें इस जाल से?"
RBIRegistered ऐप्स ही इस्तेमाल करें: आरबीआई की वेबसाइट पर चेक करें NBFC लाइसेंस।
APK फाइलें न डाउनलोड करें: सिर्फ गूगल प्ले स्टोर या ऐप स्टोर से ही ऐप्स लें।
अजीब परमिशन्स को न कहें: कैमरा, कॉन्टैक्ट्स, एसएमएस एक्सेस देने से इनकार करें।
शिकायत करें: साइबर क्राइम पोर्टल (cybercrime.gov.in) पर रिपोर्ट दर्ज कराएँ।
"डिजिटल युग का नया खतरा, जागरूकता ही बचाव है!"
ये "साइलेंट किलर" ऐप्स न सिर्फ़ आम भारतीयों की जान ले रहे हैं, बल्कि देश की डेटा संप्रभुता के लिए भी खतरा हैं। जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा— "साइबर सुरक्षा आत्मनिर्भर भारत की नींव है।" इस लड़ाई में हर नागरिक की जागरूकता ही हथियार है।
स्रोत:
भारतीय साइबर क्राइम विभाग की प्रेस विज्ञप्तियाँ
आरबीआई की NBFC रिपोर्ट (2023)
हैदराबाद साइबर पुलिस केस स्टडी
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ अंकित गुप्ता का इंटरव्यू