आज का विचार
फ्रांस के एक वाणिज्य मंत्री का कहना था "ब्रांडेड चीजें व्यापारिक दुनिया का सबसे बड़ा झूठ होती हैं जिनका असल उद्देश्य तो अमीरों से पैसा निकालना होता है लेकिन गरीब इससे बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं।"
क्या यह आवश्यक है कि मैं Iphone लेकर चलूं फिरू ताकि लोग मुझे "बुद्धिमान और समझदार मानें?"
क्या यह आवश्यक है कि मैं रोजाना "Mac या Kfc में खाऊँ ताकि लोग यह न समझें कि मैं कंजूस हूँ?"
क्या यह आवश्यक है कि मैं प्रतिदिन दोस्तों के साथ "उठक बैठक Downtown Cafe पर जाकर लगाया करूँ" ताकि लोग यह समझें कि "मैं एक रईस परिवार से हूँ?"
क्या यह आवश्यक है कि मैं अपनी हर बात में दो चार "अंग्रेजी शब्द शामिल करूँ ताकि सभ्य कहलाऊं?"
क्या यह आवश्यक है कि मैं "Adele या Rihanna को सुनूँ ताकि साबित कर सकूँ कि मैं विकसित हो चुका हूँ?"
"नहीं भाई नहीं"
मेरे कपड़े तो "आम दुकानों" से खरीदे हुए होते हैं,
दोस्तों के साथ किसी "ढाबे" पर भी बैठ जाता हूँ,
भूख लगे तो किसी "ठेले" से ले कर खाने मे भी कोई अपमान नहीं समझता,
अपनी सीधी सादी भाषा मे बोलता हूँ।
अपनी सीधी सादी भाषा मे बोलता हूँ।
चाहूँ तो वह सब कर सकता हूँ जो ऊपर लिखा है, लेकिन-
मैंने ऐसे लोग भी देखे हैं, जो "मेरी Adidas से खरीदी गई एक कमीज की कीमत में पूरे सप्ताह भर का राशन ले सकते हैं।"
मैंने ऐसे परिवार भी देखे हैं जो मेरे "एक Mac बर्गर की कीमत में सारे घर का खाना बना सकते हैं।"
बस मैंने यहाँ यह रहस्य पाया है कि "पैसा ही सब कुछ नहीं है" जो लोग किसी की बाहरी हालत से उसकी कीमत लगाते हैं वह तुरंत अपना इलाज करवाएं।
"मानव मूल की असली कीमत उसकी नैतिकता, व्यवहार, मेलजोल का तरीका, सुलह-रहमी, सहानुभूति और भाईचारा है_। ना कि उसकी मौजूदा शक्ल और सूरत"… !
"मानव मूल की असली कीमत उसकी नैतिकता, व्यवहार, मेलजोल का तरीका, सुलह-रहमी, सहानुभूति और भाईचारा है_। ना कि उसकी मौजूदा शक्ल और सूरत"… !
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