गुरुवार, 8 मार्च 2018

केंद्र सरकार द्वारा लेबर कोड का ड्राफ्ट तैयार 
अब पीएफ और पेंशन के लिए कर्मचारी स्वयं करा सकेंगे रजिस्ट्रेशन


केंद्र सरकार द्वारा लेबर कोड ऑन सोशल सिक्‍युरिटी, 2018 के अंर्तगत कर्मचारियों को विशेष सुविधा मुहैया कराई जाएगी। इसके तहत अब पीएफ (प्रॉविडेंट फंड) और पेंशन सहित सोशल सिक्‍युरिटी के लिए कामगारों को कंपनी के रहमोकरम को निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। कंपनी द्वारा अगर एक निश्चित समय-सीमा के अंदर पीएफ और पेंशन के लिए रजिस्‍ट्रेशन नहीं कराया जाता, तो कर्मचारी अपने आप अपना रजिस्‍ट्रेशन करा सकेगा। इम्‍पलॉयर का कंट्रीब्‍यूशन वेज सीलिंग पर आधारित होगा। केंद्र सरकार 31 मार्च के बाद इस डील को अंतिम रूप देगी। डील के अनुसार, कर्मचारियों को सोशल सिक्‍योरिटी मुहैया कराने के लिए इम्‍पलॉयर कंट्रीब्‍यूशन कितना होगा यह सरकार तय करेगी, परंतु यह मासिक आय का 17.5 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। वहीं एम्‍पलॉयर कंट्रीब्‍यूशन के लिए मंथली इनकम का पैमाना वेज सीलिंग होगी अर्थात् मंथली इनकम वेज सीलिंग तक ही हो सकती है। यानी अगर वेज सीलिंग 15,000 रुपए है तो कर्मचारी की मंथली इनकम 15,000 रुपए से अधिक नहीं हो सकती।

डील में कहा गया है कि सोशल सिक्‍योरिटी के लिए इम्‍पलाई कंट्रीब्‍यूशन की अधिकतम लिमिट 12.5 फीसदी होगी तो वहीं अगर इप्‍लाई क्‍लास चैथी कैटेगरी में आता है, तो उसका कंट्रीब्‍यूशन शून्‍य होगा। ऐसे मामलों में एम्‍पलॉयर से मात्र सिंगल कंट्रीब्‍यूशन कलेक्‍ट किया जाएगा। यदि एम्‍पलॉयर से किसी तरह का सेस यानी उपकर वसूला जा रहा है, तो उसके लिए एम्‍पलॉयर कंट्रीब्‍यूशन की दर कम भी हो सकती है। इसी तरह कोई कंपनी या संस्‍थान अगर ओएसएच स्‍टैंडर्ड के ऊंचे मानकों को मेनेटेन करता है, तो उस संस्‍थान या कंपनी के लिए भी एम्‍पलॉयर कंट्रीब्‍यूशन की दर कम हो सकती है। ओएसएच स्‍टैंडर्ड का अर्थ है-ऑक्‍यूपेशनल सेफ्टी और हेल्‍थ। यानि आप जहां पर काम करते हैं वहां आपकी और आपके स्‍वास्‍थ्‍य की सुरक्षा के लिए कैसा वातावरण है।

डील में यह भी कहा गया कि जिन संस्‍थानों में ग्रेच्‍युटी पेमेंट एक्‍ट लागू होता है उनमें एम्‍पलॉयर्स को वेज यानी वेतन का 2 फीसदी ग्रेच्‍युटी फंड में कंट्रीब्‍यूट करना होगा। अगर कोई वर्कर कांट्रैक्‍ट पर काम कर रहा है तो उस केस में ग्रेच्‍युटी कंट्रीब्‍यूशन के लिए प्रिंसिपल इम्‍पलॉयर जिम्‍मेदार होगा। ग्रेच्‍युटी फंड प्रिसिपल इम्‍पलॉयर के नाम से मेनेटेन किया जाएगा न कि इंडीविजुअल कर्मचारी के नाम पर।

वर्तमान व्यवस्था में केवल संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कामगारों को ही ईपीएफ एक्‍ट के तहत पीएफ और पेंशन की सुविधा दी जाती है। ईपीएफ कानून में आने वाली कंपनियां अथवा संस्‍थान अपने कर्मचारियों का पीएफ और पेंशन अकाउंट खुलवाते हैं। अगर कोई कंपनी ऐसा नहीं करती, तो उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाही का प्रावधान है, किंतु वर्कर्स खुद को पीएफ और पेशन के लिए ईपीएफओ के पास रजिस्‍टर नहीं करा सकते।
केंद्र सरकार द्वारा लेबर कोड ऑन सोशल सिक्‍योरिटी, 2018 के मसौदे को तैयार कर लिया गया है। फिलहाल इस मसौदे पर स्‍टेकहोल्‍डर्स के सुझाव आमंत्रित की गए हैं। सुझाव आने के बाद केंद्र सरकार इसे संसद में प्रस्तुत करेगी। सरकार का लक्ष्य है-लेबर कोड के अंर्तगत 50 करोड़ कर्मचारियों को सोशल सिक्‍युरिटी उपलब्ध कराना।
अभी इम्‍प्लॉई का रजिस्‍ट्रेशन कराने का उत्तरदायित्व इम्‍प्लॉयर का है। कोड के मसौदे में भी सोशल सिक्‍युरिटी के लिए इम्‍प्लॉई का रजिस्ट्रेशन कराने की जिम्‍मेदारी इम्‍प्लॉयर (कंपनी) की है, लेकिन कोई कंपनी यदि किसी कर्मचारी का एक निश्चित समय सीमा के अंदर सोशल सिक्‍युरिटी के लिए रजिस्‍ट्रेशन नहीं कराती, तो उस पर पेनाल्‍टी लगेगी। साथ ही कर्मचारी (इम्‍प्लॉई) को यह सुविधा दी जाएगी कि वह कोड के तहत स्वयं की सोशल सिक्‍युरिटी के लिए पंजीकरण (रजिस्‍ट्रेशन) करा सके। इस सुविधा का लाभ संगठित ओर गैर-संगठित दोनों क्षेत्र के कर्मचारियों उठा सकेंगे।

लेबर कोड के मसौदे के अंतर्गत एक यूनिवर्सल रजिस्‍ट्रेशन सिस्‍टम तैयार किया जाएगा। इस सिस्‍टम अथवा प्रणाली में सभी सक्रिय या एक्टिव वर्कर्स का रजिस्‍ट्रेशन सुनिश्चित होगा। रजिस्‍ट्रेशन आधार कार्ड पर आधारित होगा। रजिस्‍ट्रेशन के नियमों को सेंट्रल बोर्ड निर्धारित करेगा। इसके अतिरिक्त, फील्‍ड में रजिस्‍ट्रेशन का काम लोकल बॉडीज जैसे ग्राम पंचायत तथा म्‍युनिसिपल बॉडीज करेंगी। यह भी व्यवस्था रहेगी कि स्‍टेट बोर्ड वर्कर्स को रजिस्‍ट्रेशन की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए फैसिलिटेशन सेंटर का लाभ दिया जाएं। यह प्रणाली सार्वजनिक-निजी भागीदारी यानि प्राइवेट-पब्लिक पार्टनरशिप-पीपीपी मॉडल पर भी आधारित हो सकेगा।

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