कैंसर होने के इन कारणों को
नहीं जानते होंगे आप?
लाइलाज समझे जाने वाली बीमारी कैंसर का नाम सुनते ही लोग भयभीत हो जाते हैं। हो भी क्यों न इसे आप अमेरिका के उदाहरण से समझ सकते हैं। अमेरिकी नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट कैंसर के शोध के लिए प्रतिदिन तीस लाख डॉलर व्यय करता है, जबकि अमेरिकन कैंसर सोसाइटी रोजाना दस लाख डॉलर कैंसर की चिकित्सा के रिसर्च पर खर्च करती है। इतना होने पर भी कैंसर के सामान्य मामलों से होने वाली मृत्यु (फेफड़ों, आंत, ब्रेस्ट, प्रॉस्टेट, अंडाशय और पैंक्रियाज कैंसर) का आंकड़ा पिछले लगभग पचास सालों से अमेरिका में बढ़ ही रहा है। प्रत्येक तीस सेकेंड में एक अमेरिकी नागरिक को कैंसर होने का पता चल रहा है। हर 55 सेकेंड पर एक अमेरिकी की कैंसर से मौत हो रही है।
वहीं अगर भारत की बात करें तो इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने 1990-1996 के बीच पांच शहरों और एक ग्रामीण इलाके में रिसर्च की थी, जिससे यह बात निकलकर आई कि आंतों के कैंसर के मरीजों की तादाद बढ़ रही है, पुरुषों में स्त्रियों की अपेक्षा कैंसर होने की संभावना डेढ़ गुना अधिक है, महिलाओं में होने वाले कैंसर में आंतो का कैंसर दसवें नंबर पर है और आंतों के कैंसर की बीमारी तेजी से बढ़ रही है।
कैंसर कोशिकाओं की बेलगाम, अनियमित एवं असामान्य वृद्धि है, जोकि शरीर के किसी भी भाग, ऊतक अथवा अंग से शायद किसी ज्ञात या अब तक अज्ञात कारण से शुरू हो सकती है। यह शुरुआती कारण खत्म हो जाने के बाद भी जारी रह सकती है, जिसकी प्रवृत्ति आस-पास के सामान्य ऊतकों में घुसपैठ करने और रक्तवाहिकाओं में घुस जाने की है, जिससे यह रोग फेफड़ों, लीवर, मस्तिष्क एवं हड्डियों जैसे कुछ भागों अथवा पूरे शरीर के हिस्सों में फैल जाता है, जिसे मेटास्टेसिस कहते हैं। अगर इलाज न हो तो आखिरकार रोगी की मौत हो जाती है।
कैंसर संक्रामक रोग नहीं है। कैंसर रोगी के साथ खाना खाने, सोने या पीने से यह बीमारी नहीं फैलती। कई लोग इसे खानदानी बीमारी मानते हैं. परंतु कुछ कैंसर रोग ऐसे हैं जो परिवार की हिस्ट्री, खान-पान की आदतों या अन्य कारणों से विभिन्न सदस्यों में नजर आ सकते हैं। इनमें कोलन कैंसर है जो खान-पान की आदतों से होता है। ब्रेस्ट कैंसर मां और बेटी में आनुवंशिक कारणों से हो सकता है। सिर्फ 5 फीसदी कैंसर जनेटिक होते हैं।
आधुनिक विज्ञान में कैंसर के सही स्वरूप का जिक्र लगभग 150 वर्ष पूर्व होना आरंभ हुआ, पर गत कुछ समय से विभिन्न कारणों और कारकों की वजह से कैंसर के रोगियों की निरंतर बढ़ती संख्या से इस पर अधिक ध्यान जाने लगा है।
नेशनल कैंसर रजिस्ट्री की माने तो हमारे देश भारत में प्रतिवर्ष लगभग 7 लाख कैंसर के नए मामले सामने आ रहे हैं। भारत में कैंसर का कारण गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण, कम उम्र में विवाह, बार-बार गर्भवती होना, गंदगी और स्वास्थ्य की अनदेखी आदि कारण प्रमुख हैं। सिगरेट और तम्बाकू के अलावा भी कैंसर के अनेक कारण हैं जिनके बारे में आप शायद ही जानते होंगे। चलिए जानते हैं कैंसर की ऐसी ही वजहें।
1. ग्रिल्ड और तंदूरी फूड
नेशनल कैंसर, इंस्टीट्यूट (यूएसए) का एक अनुसंधान बताता है कि ग्रिल्ड और तंदूरी फूड यानि तेज आंच और धुुंए में पकाए फूड में कई ऐसे केमिकल्स रिलीज होते हैं, जो कैंसर का कारण बन सकते हैं।
2. रहने या कार्य करने का स्थान
जर्नल कैंसर, में प्रकाशित एक स्टडी की माने तो धूल, धुएं, दूषित पानी वाले या रेडिएशन वाले इलाकों में कई तरह के कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।
3. फूड पैकेजिंग और प्लास्टिक
कैंसर रिसर्च (यूके) की माने तो प्लास्टिक के कप में गर्म फूड खाना या पीना, कई तरह के प्लास्टिक की बोतलों और पैकेजिंग से भी कैंसर हो सकता है।
4. ब्रेड, बन्स और पिज्जा
सेंटर फाॅर साइंस एंड एन्वायरन्मेंट (सीएसई) की स्टडी बताती है कि ब्रेड, बन्स और पिज्जा के प्रसिद्ध ब्रांन्ड में पोटैशियम ब्रोमैटेड और आयोडेट नामक रसायन पाए गए हैं, जो कैंसर का कारण बन सकते हैं।
5. सनस्क्रीन क्रीम
मिसौरी यूनिवर्सिटी की शोध बताती है कि सनस्क्रीन क्रीम में मौजूद जिंक आक्साइड केमिकल रिएक्शन करके डीएनए को डैमेज करता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
6. अल्कोहल
डेनमार्क में होने वाले अनुसंधान की माने तो अल्कोहन में उपस्थित एसोटेल्डीहाइड डीएनए को डैमेज करता है, जिससे कई तरह के कैंसर हो सकते हैं।
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