बुधवार, 24 अक्टूबर 2018

चित्र में कहां रह गई गलती

रमेश  प्रसिद्ध चित्रकार था। देश-विदेश में उसकी पेटिंग्स प्रसिद्ध थी। लोग उसके चित्रों की प्रशंसा करते नहीं थकते थे। एक बार उसके दिमाग में आया कि कहीं ऐसा तो नही है कि लोग केवल उसके मुंह पर उसकी प्रशंसा करते हों और पीठ पीछे उसके काम में कमी निकालते हो।

ऐसा विचार कर उसने अपनी एक मशहूर पेंटिंग को प्रातः शहर के एक व्यस्त चौराहे पर रख दिया, जिसके नीचे लिखा था कि ‘‘जिसे भी इस पेंटिंग में कहीं  कोई कमी नज़र आये  वह  उस जगह एक निशान लगा दे।’’ शाम होने पर रमेश पेंटिंग देखने पहुंचा, तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं। पेंटिंग पर सैकड़ों चिह्न अंकित थे। वह अत्यंत दुःखी होकर और चुपचाप पेटिंग उठा कर अपने घर चला गया।

रमेश को इस घटना ने अत्यंत प्रभावित किया। उसने चित्रकारी छोड़ दी और अब आंगतुकों से मिलने से भी घबराने लगा। एक दिन रमेश की उसके दोस्त नरेश से मुलाकात हुई, तो उसने रमेश की निराश की वजह पूछी, तब उसने परेशान मन से उस दिन की घटना सुनाई। नरेश बोला, ‘‘एक काम करते हैं हम एक बार और तुम्हारी बनायी कोई पेटिंग उस चौराहे पर रखते हैं।’’


अगली सुबह रमेश ने बाजार में एक नयी पेंटिंग लगा दी। पेटिंग लगाने के बाद रमेश चित्र के नीचे फिर से वही लाइन लिखने जा रहा था कि ‘‘जिसे भी इस पेंटिंग में कहीं  कोई कमी नज़र आये  वह  उस जगह एक निशान लगा दे।’’ तभी नरेश ने उसे रोककर कहा इस बार यह लिखो ‘‘जिस किसी को भी इस पेंटिंग में कहीं भी कोई कमी दिखाई दे उसे सही कर दे।’’

शाम के बाद रमेश और नरेश उस पेंटिंग को देखने गये, तो उन्होंने देखा कि पेंटिंग जैसी सुबह थी अभी भी बिलकुल वैसी की वैसी ही है। नरेश रमेश की ओर देखकर मुस्कुराया और बोला, “कुछ समझ आया। कोई भी मूर्ख गलतियाँ निकाल सकता है और ज्यादातर मूर्ख निकालते ही हैं, लेकिन गलतियाँ सुधारने वाले बहुत कम ही लोग होते हैं। बेकार में ऐसे लोगों की राय लेने का कोई फायदा नहीं, जो सिर्फ और सिर्फ दूसरों के काम में कमियां निकालना चाहते हैं, उन्हें नीचा दिखाना चाहते हैं, लेकिन उनको सुधारने के लिए न तो उनके पास समय है और न ज्ञान। इसलिये गलतियां तुम्हारे चित्र में नहीं, बल्कि ऐसे लोगों की सलाह में है।

रमेश को नरेश की बात समझ में आ चुकी थी और अब वह दुबारा अपना मनपसंद काम करने लगा। वह पेंटिंग्स बनाने लगा। मित्रों हमें हर किसी से “सलाह” नहीं लेनी चाहिए। यदि सलाह लेनी भी है, तो अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ से ही सलाह या फीडबैक लें। याद रखें कि हमें वह मक्खी बनने से बचना चाहिए, जो सारी अच्छाइयां छोड़कर जख्म पर ही बैठती है यानि सिर्फ गलतियाँ निकालने वाला नहीं बनना चाहिए। हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम दूसरों की गलतियां सुधार कर उनके जीवन को सकारात्मक बना सके।

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