मंगलवार, 28 अगस्त 2018

जंगली बीजों की खेती करवायेगी लाखों की कमाई
10,000 करोड़ का बाजार तैयार करने की है सरकार की योजना

फिलहाल हवाई जहाज को उड़ाने के लिए हमारा देश 30,000 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष फ्यूल का आयात करता है। प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार आगामी वर्षों में इस आयात बिल में 10,000 करोड़ की कमी करने की योजना बना रही है। इसके अंतर्गत बायोफ्यूल से हवाई जहाज के फ्यूल को रिप्लेस किया जाए। इससे सरकार किसानों को यह अवसर देने जा रही है, जिससे उनकी आय तो बढ़ेगी साथ ही देश का घाटा भी कम होगा। 

सरकार की माने तो अब किसान जंगली बीज (सीड) की खेती कर लाखों रुपए कमा सकते हैं। चूंकि अब सरकार इन बीजों से बायोफ्यूल तैयार करेगी, जिससे हवाई जहाज उड़ेंगे। फिलहाल हवाई जहाज फ्यूल के रूप में भारत वार्षिक लगभग 30,000 करोड़ रुपए के फ्यूल का आयात करता है। मोदी सरकार का लक्ष्य आगामी 4-5 वर्षों में इस आयात राशि को लगभग 10,000 करोड़ रुपए कम करना है। इसी खाई को भरने के लिए देश में बायो जेट फ्यूल बनाए जाएंगे।

श्री नितिन गडकरी, माननीय परिवहन मंत्री की माने तो गैर खाद्य तेल वाले जंगली बीज से सरलता से बायो जेट फ्यूल का पैदा किया जा सकता है। देश के वैज्ञानिकों ने इसे तकनीकी रूप से साबित भी कर दिया है। इनमें रतनजोत, मोह, साह, टोली आदि प्रमुख जंगली बीज हैं, जोकि उड़ीसा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र व झारखंड आदि क्षेत्रों में भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। जट्रोफा का उत्पादन देश में कम है, इसलिए फिलहाल उससे इस्तेमाल के लायक बायो जेट फ्यूल बनाना मुमकिन नहीं है।

श्री गडकरी ने आगे बताया कि इन जंगली बीज को किसान से 10-12 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा जाएगा। 3 किलोग्राम बीज से एक लीटर फ्यूल का पैदा हो सकेगा। फिलहाल एयरलाइंस लगभग 70 रुपए प्रति लीटर की दर से फ्यूल खरीदती है। यदि हम इन कंपनियों को 52 रुपए प्रति लीटर की दर से भी फ्यूल देंगे तो कंपनियों को भी फायदा होगा और किसानों को भी। इतना ही नहीं इससे हवाई यात्रा भी सस्ती हो जाएगी। जंगली बीज से बने बायो जेट फ्यूल से हवाई यात्रा लगभग 20 फीसदी से भी अधिक कम हो जाएगी। सरकार की मंशा शीघ्र ही इस तरह की नीति तैयार करके उसे कैबिनेट के सामने रखने की है।

आपको बता दें कि एयरलाइन कंपनी स्पाइसजेट ने 27 अगस्त को आंशिक रूप से बायो-फ्यूल से चलने वाला पहला भारतीय विमान सफलतापूर्वक उड़ाया। आंशिक रूप से बायो-फ्यूल के इस्तेमाल से यह विमान देहरादून से उड़ान भरकर दिल्ली के इंदिरा गांधी हवाई अड्डे पर उतरा। इस उड़ान के लिए इस्तेमाल ईंधन 75 प्रतिशत एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) और 25 प्रतिशत बायो-फ्यूल का मिश्रण था।

एयरलाइन कंपनी ने बताया कि एटीएफ की तुलना में बायो-फ्यूल में कार्बन का उत्सर्जन घटता है और साथ ही ईंधन दक्षता भी बढ़ती है। स्पाइसजेट ने कहा कि जट्रोफा की फसल से बने इस ईंधन को सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान देहरादून ने विकसित किया।

बायो-फ्यूल को अमेरिकी मानक जांच प्रणाली (एएसटीएम) से मान्यता प्राप्त हो चुकी है, और यह विमान में प्रैट एंड व्हिटनी और बॉम्बार्डियर के वाणिज्य एप्लीकेशन को मानदंडों को पूरा करता है। एयरलाइंस कंपनियों के वैश्विक निकाय आईटीए के अनुसार ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में विमान से हुए प्रदूषण का दो प्रतिशत हिस्सा है।

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