एक सरपंच ने कुछ माह ही बदल डाली इस गांव की तस्वीर
वाईफाई से लैस यह गांव अच्छे-अच्छे शहरों से ले रहा है टक्कर
महात्मा गांधी ने कहा था कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है इसलिए गांव के विकास ही देश का विकास हो सकता है। इस बात पर देश की सरकारों ने अमल किया किंतु सरकार की भी अपनी सीमाएं होती हैं। ऐसे में, कहीं न कहीं, कुछ न कुछ कमी जरूर रह गई। विकास हुआ जरूर, पर जितना होना चाहिए था उतना नहीं हुआ। इस स्थितियों में, कुछ गांव ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने दम पर अच्छे-अच्छे शहरों को मत दे डाली। तो चलिए आज ऐसे ही हरियाणा के गांव के बारे में जानते हैं।
लगभग छः हजार जनसंख्या वाले झट्टीपुर गांव (पानीपत, हरियाणा) में ऐसा पहली बार हुआ जबकि शिक्षित पंचायत चुनकर आई। एक सरपंच श्री अशोक ने गांव की तस्वीर ही बदल दी, जिसका प्रभाव केवल दो माह में ही दिखाई देने लगा, मजे की बात तो यह रही कि वह भी बिना किसी सरकारी सहायता के। आज यह गांव लगभग सारी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो चुका है। गांव तक व उसके भीतर साफ-सुथरी आरसीसी सड़कें व इंटरलॉकिंग गलियां बन चुकी हैं। प्रत्येक गली में अलग सफाई कर्मचारी तैनात है। कूड़ा उठाने को बैट्री रिक्शा है। सफाई कर्मचारियों के मोबाइल नंबर दीवार पर लगे बोर्ड पर लिखे हुए हैं। शिकायत के लिए एक वाट्सएप नंबर है। पूरा गांव वाईफाई है।
आरंभ में काम के लिए धन चाहिए था। प्रस्ताव बनाए गए पर सरकारी अफसरों ने तब्जो न दी। पंचायत ने मजबूर होकर आय पर ध्यान दिया। नतीजा आज उसे 12 लाख प्रतिवर्ष आय होती है। इस राशि का इस्तेमाल गांव के आधुनिकरण के लिए किया गया। निकट की कंपनियों से भी सहायता मिली। कोई ई-टायलेट के लिए तो कोई पेड़-पौधे के लिए मदद दे गया।
एमए, एमफिल व एलएलबी कर चुके सरपंच अशोक की माने तो शपथ लेने से पूर्व समाचार-पत्रों में गुजरात व महाराष्ट्र की अच्छी पंचायतों के बारे में पढ़ता था और सोचता था कि मैं भी अपनी पंचायत को ऐसे ही बनाऊंगा ताकि वह दूसरों के लिए मिसाल बन सके। सरपंच बनने पर सर्वप्रथम घर-घर जाकर बच्चों को स्कूल भेजने को कहा। असर दिखा और 500 से अधिक दाखिले केवल दो माह में ही हो गए। प्राइमरी, सेकंडरी और सीनियर सेकेंडरी स्कूल वाले गांव में अध्यापकों की कमी थी। मैंने एम.ए. पास अपनी पत्नी से पढ़ाने को कहा। परिणामस्वरूप आज स्मार्ट क्लास में पढ़ाई होने वाली है।
महिला सुरक्षा को विशेष महत्व देते हुए तीन रास्तों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। 200 से अधिक लोगों को इंटरनेट सुविधा दी जा चुकी है। गांव को वाईफाई किए जाने पर लोगों की प्रतिक्रिया थी कि इंटरनेट का मिसयूज होगा। ऐसे में, आईडी प्रूफ लेकर लॉगइन आईडी और पासवर्ड दिया गया। अभी तो गांव से ही ऑनलाइन आवेदन आ रहे हैं। बुजुर्गों की पेंशन के लिए बैंककर्मियों को गांव में ही बुलाया जाता है। 99 प्रतिशत घरों में टॉयलेट बनवाए जा चुके हैं। जहां यह नहीं हैं वहां ई-टॉयलेट व्यवस्था करवाई गई है। गांव में दो ट्यूबवेल हैं जिसपर कर्मचारी तैनात किए गए हैं ताकि पानी बर्बाद न होे।
अशोक की मंशा हैं कि वर्षभर में झट्टीपुर राज्य की सबसे विकसित पंचायत बने।
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