भारतवर्ष की धार्मिक परंपराओं और आस्थाओं में श्री हनुमान एक ऐसे अमर देवता माने जाते हैं जिनकी जीवंतता को लेकर आज भी अनेक रहस्यमयी कहानियाँ प्रचलित हैं। प्रश्न यह है – क्या हनुमान जी आज भी जीवित हैं? क्या वे सचमुच इस पृथ्वी पर विचरण कर रहे हैं? क्या उनसे साक्षात मिलना संभव है? इस लेख में हम इन्हीं सवालों की गहराई से पड़ताल करेंगे – धार्मिक ग्रंथों, मान्यताओं और रहस्यमयी घटनाओं के आधार पर।
हनुमान जी को अमरत्व का वरदान
वाल्मीकि रामायण, महाभारत, और पुराणों के अनुसार, भगवान श्रीराम ने स्वयं हनुमान जी को आशीर्वाद दिया था कि वे जब तक यह पृथ्वी टिकी रहेगी, तब तक जीवित रहेंगे और राम नाम का संकीर्तन करते रहेंगे।
शिव पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण में उल्लेख है कि हनुमान जी को “चिरंजीवी” होने का वर प्राप्त हुआ है। भारत में ऐसे आठ चिरंजीवी माने जाते हैं – अश्वत्थामा, महर्षि वेदव्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम, राजा बली और मार्कंडेय। इन सभी को विशेष उद्देश्य के लिए धरती पर जीवित रखा गया है।
धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख
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रामायण के उत्तरकांड में आता है कि जब श्रीराम ने अयोध्या को छोड़ा, तो उन्होंने हनुमान जी से कहा:
“हे कपिवर! जब तक इस सृष्टि में रामकथा का गायन होता रहेगा, तब तक तुम इस लोक में रहकर राम भक्तों की रक्षा करते रहो।”
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महाभारत के अनुसार, अर्जुन के रथ के ध्वज पर भी हनुमान जी विराजमान थे। इससे यह प्रमाण मिलता है कि वे त्रेता के बाद द्वापर युग में भी सक्रिय थे।
हनुमान जी की उपस्थिति के चमत्कारी प्रमाण
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कई बार संकट के समय चमत्कारी रूप से लोगों की रक्षा होने की घटनाओं को हनुमान जी की कृपा से जोड़ा गया है।
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हनुमान चालीसा के नियमित पाठ से अद्भुत अनुभव और चमत्कार कई भक्तों को होते हैं।
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कुछ साधु-संत कहते हैं कि हनुमान जी हर युग में भक्तों की सेवा के लिए अदृश्य रूप में उपस्थित रहते हैं।
क्या आज भी होते हैं हनुमान जी के दर्शन?
भारत के कई तीर्थ स्थलों और घने वनों में समय-समय पर ऐसी घटनाएँ सामने आती रही हैं जहाँ श्रद्धालुओं ने हनुमान जी के चमत्कारिक दर्शन की बात कही है। जैसे:
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उत्तराखंड के मानसखंड क्षेत्र,
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हिमालय के बियाबान जंगल,
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रामेश्वरम,
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अंजन पर्वत (झारखंड) – जहाँ हनुमान जी का जन्म माना गया है।
कई संतों और तपस्वियों ने ध्यान अवस्था में हनुमान जी के साक्षात दर्शन का अनुभव किया है। प्रसिद्ध योगी तपोनिष्ठ देवरा बाबा और स्वामी रामसुखदास जी ने भी अपने प्रवचनों में हनुमान जी से संवाद होने का जिक्र किया है।
क्या विज्ञान कुछ कहता है?
विज्ञान हनुमान जी की अमरता को प्रत्यक्ष रूप से सिद्ध नहीं करता, परंतु यह भी नकारता नहीं कि हजारों वर्षों से चली आ रही लोक मान्यताएँ, श्रद्धा और अनुभवों का कोई गूढ़ रहस्य अवश्य है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह "कॉलेक्टिव फेथ" (सामूहिक आस्था) का उदाहरण है जो किसी भी संस्कृति को जीवित और ऊर्जा-सम्पन्न बनाए रखता है।
विश्वास और भक्ति का अमर प्रतीक
श्री हनुमान एक ऐसे देवता हैं जो शक्ति, सेवा और समर्पण के प्रतीक हैं। उनका अस्तित्व केवल पौराणिक ही नहीं, बल्कि आज भी लाखों श्रद्धालुओं के अनुभवों, चमत्कारों और आस्था में जीवित है।
क्या वे आज भी जीवित हैं?
– इसका उत्तर श्रद्धा में छिपा है। वे उन सभी में जीवित हैं जो सच्चे मन से "राम-नाम" का जाप करते हैं। वे वहां उपस्थित हैं जहाँ संकट में पड़ा भक्त "जय बजरंग बली" कहता है।
और यही आस्था उन्हें "सचमुच के अमर देवता" बनाती है।
आपके विचार?
क्या आपने कभी ऐसा अनुभव किया है जो हनुमान जी की उपस्थिति का संकेत देता हो? अपनी कथा कमेंट या मेल के माध्यम से अवश्य साझा करें।
References (संदर्भ):
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वाल्मीकि रामायण – उत्तरकांड
श्रीराम द्वारा हनुमान को चिरंजीवी होने का वरदान।
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महाभारत – वनपर्व, 145 अध्याय
भीम और हनुमान का संवाद, अर्जुन के रथ पर हनुमान का ध्वज।
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ब्रह्मवैवर्त पुराण – कृष्ण जन्म खंड
आठ चिरंजीवी व्यक्तित्वों का उल्लेख।
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शिव पुराण – कोटिरुद्र संहिता
हनुमान जी की दिव्यता और अमरता का उल्लेख।
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तपोनिष्ठ देवरा बाबा के प्रवचन
हनुमान जी के प्रत्यक्ष दर्शन का वर्णन।
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रामचरितमानस – सुंदरकांड
“संकट से हनुमान छुड़ावें, मन क्रम बचन ध्यान जो लावें।”
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योगी रामसुखदास जी के सत्संग
ध्यान में हनुमान जी की उपस्थिति की पुष्टि।
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