शुक्रवार, 8 अगस्त 2025

रक्षाबंधन क्यों मनाते हैं? – एक पावन बंधन की अद्भुत कहानी

 भारत त्योहारों की भूमि है, जहां हर पर्व में भावनाओं, परंपराओं और मानवीय रिश्तों की गहरी छाप होती है। इन्हीं में से एक है रक्षाबंधन, जो भाई-बहन के अटूट प्रेम, विश्वास और जिम्मेदारी का प्रतीक है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रक्षाबंधन केवल एक धागा बांधने की रस्म नहीं, बल्कि इसके पीछे इतिहास, पौराणिक कथाएं और सांस्कृतिक महत्व भी छुपा है? आइए जानते हैं रक्षाबंधन का असली अर्थ और इसके पीछे की प्रेरणादायक कहानियां।

1. रक्षाबंधन का अर्थ

‘रक्षाबंधन’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – ‘रक्षा’ यानी सुरक्षा और ‘बंधन’ यानी संबंध। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र (राखी) बांधती है और उसकी लंबी उम्र व सुख-समृद्धि की कामना करती है, वहीं भाई बहन की रक्षा का वचन देता है।

2. पौराणिक कथाएं

श्रीकृष्ण और द्रौपदी

महाभारत काल में, एक बार श्रीकृष्ण की उंगली कट गई। द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया। इस भावनात्मक बंधन को श्रीकृष्ण ने जीवनभर निभाया और द्रौपदी की लाज बचाई।

इंद्र और इंद्राणी

देवताओं और असुरों के युद्ध के समय, इंद्राणी ने अपने पति इंद्र की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा, जिससे उन्हें विजय प्राप्त हुई। यह घटना रक्षाबंधन के महत्व को और मजबूत करती है।

रानी कर्णावती और हुमायूँ

मध्यकाल में चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने मुगल सम्राट हुमायूँ को राखी भेजकर अपने राज्य की रक्षा की गुहार लगाई। हुमायूँ ने इस भाईचारे का सम्मान करते हुए उनकी रक्षा की।

3. सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

रक्षाबंधन सिर्फ रिश्तों को मजबूत करने का पर्व नहीं है, बल्कि यह समाज में प्रेम, विश्वास और एकजुटता का संदेश देता है। समय के साथ, यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते से आगे बढ़कर मित्रता, पड़ोस और यहां तक कि देशों के बीच भी सद्भावना का प्रतीक बन गया है।

4. आधुनिक समय में रक्षाबंधन

आज के दौर में, राखी का अर्थ केवल रक्षा नहीं, बल्कि भावनाओं की सुरक्षा भी है। बहनें भाइयों के साथ-साथ अपने मित्रों, गुरुओं और यहां तक कि प्रकृति को भी राखी बांधकर यह संदेश देती हैं कि हम एक-दूसरे की रक्षा और सम्मान करेंगे।

रक्षाबंधन सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि यह हमारी संस्कृति की आत्मा है, जो हमें याद दिलाता है कि रिश्तों की डोर विश्वास, प्रेम और कर्तव्य से बंधी होती है। चाहे समय कितना भी बदल जाए, इस पावन बंधन की महक हमेशा बनी रहेगी।

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