साइकिल के पंक्चर लगाने वाले इंसान ने खड़ी की
2200 करोड़ की कंपनी
इकबाल ने एक जगह लिखा है ‘‘खुदी को कर बुलंद इतना के हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है अर्थात् अपनी संकल्प शक्ति को इतना दृढ़ बनाओ कि नियति के प्रत्येक मोड़ पर स्वयं ईश्वर तुम्हारे जैसे नश्वर प्राणी से भी यह पूछने को विवश हो जाए कि बताओ तुम्हारा इरादा क्या है या तुम्हें क्या चाहिए। ऐसी ही मिसाल अनेक लोगों ने अपने जीवन में उतार कर दिखाई है इनमें से ही एक ऐसे शख्स है जिनकी जानकारी हम आपको आज देने वाले हैं। यह छत्तीसगढ़ निवासी कभी साइकिल की दुकान पर पंक्चर लगाया करते थे लेकिन एक आइडिया ने उनका जीवन बदल दिया। 100 मुर्गियों से उन्होंने व्यवसाय शुरू किया जोकि आज 2200 करोड़ तक पहुंच चुका है। चलिए जानते हैं कैसे।
यह शख्स है बहादुर अली जिसे फर्श से अर्श तक पहुंचने में एड़ी चोटी का दम लगाना पड़ा। बचपन से ही पिता और भाई के साथ साइकिल की दुकान पर पंक्चर लगाने का काम करने वाले बहादुर अली का कहना है कि ‘‘अगर आप यह सोचकर पैसा कमाते हैं कि आपको आराम की जिंदगी चाहिए तो यह आपकी सोच हो सकती है, लेकिन मैं आराम की जिंदगी उसको समझता हूं जो आपको काम करने से मिलती है।”
हुआ यों कि वर्ष 1978 में पिता की मृत्यु के पश्चात् परिवार की जिम्मेदारी बहादुर अली पर आ पड़ी। बड़े भाई सुल्तान अली ने विरासत में मिली साइकिल की दुकान संभाली। उसी समय बहादुर अली की मुलाकात एक डाॅक्टर से हुई। डॉक्टर ने उन्हें पोल्ट्री बिजनेस के बारे में समझाया। बहादुर अली को काम समझ मंे आया और उन्होंने वर्ष 1984 में मात्र 100 मुर्गियों से काम की शुरूआत की।
मुर्गी पालन से बढ़कर था उसे बेचना। सौ मुर्गियां बेचने में बहुत कठिनाई हुई। बहादुर अली ने इसे चुनौती बनाकर स्वयं ही इसकी मार्केटिंग करने का निश्चय किया। मार्केट रिसर्च किया फिर रिटेल आउटलेट खोलने की योजना बनाई। कहते हैं न नीयत साफ हो और हौंसले बुलंद हो तो मंजिल अपने आप चलकर पास आ जाती है तो कुछ ऐसा ही हुआ। वर्ष 1996 के आते-आते आइबी ग्रुप का टर्न ओवर 5 करोड़ रु. तक पहुंच चुका था पर तब भी बहादुर अली को संतुष्टि नहीं थी। इसी बीच दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित वल्र्ड पोल्ट्री कांग्रेस ने जीवन में बड़ा बदलाव ला दिया। अंग्रेजी भाषा में कमजोर बहादुर अली ने बेटों और बहनोई की मदद से अनेक स्टॉलों से जानकारी इकट्ठा की। इसी बीच एक अमेरिकन कंसल्टेंट ने उन्हें बेहतरीन तकनीकों के साथ-साथ बिजनेस के गुण सिखाए। फिर अली ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
वर्ष 1999 में अली ने प्रथम पोल्ट्री प्लांट की शुरूआत की। इसके बाद वर्ष 2006 में पहली साॅल्वेंट एक्सट्रैक्शन प्लांट का आरंभ हुआ। आज अली के आइबी ग्रुप में आठ हजार से भी अधिक कर्मचारी काम करते हैं जिनकी गिनती प्रतिवर्ष 10 फीसदी की दर से बढ़ रही है। इतना ही नहीं हर वर्ष 30 प्रतिशत की कंपनी की ग्रोथ भी हो रही है। आज इंडियन ब्रायलर गु्रप की कुक्कुट पालन क्षमता 50 लाख से अधिक है। साथ ही कंपनी के उत्पादों में पैकेज्ड दूध, खाद्य तेल, मछली के फीड, सोयाबीन मील आदि शामिल हैं। कंपनी का व्यवसाय छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, विदर्भ और उड़ी में फैला हुआ है पर उनका अधिकांश काम गांवों में होने से 90 फीसदी गांव वाले ही कर्मचारी है। अली तकनीक के साथ उत्पादों के उत्पादन और उनको बेचने की रणनीति बताते हैं ताकि वह सरप्लस न हो।
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