शनिवार, 5 सितंबर 2015

चावल को हल्के में न ले जनाब!

चावल को हल्के में न ले जनाब!


धान यानि चावल एक ऐसा पौधा है जिसका प्रयोग ऊपर से नीचे तक पूरी तरह किया जाता है। परम्परागत ढंग से धान की एक हेक्टेयर कृषि में किसान को पशु (बैल) सहित हल लेकर कीचड़ से भरे हुए खेत में लगभग अस्सी किलोमीटर तक पैदल चलकर पसीना बहाना पड़ता है। धान को पानी का दुश्मन कहा जा सकता है चूंकि एक अनुमान के अनुसार एक किलोग्राम धान उगाने में खेत को लगभग 5000 लीटर जल देना पड़ता है। अधिकांशतः धान जहां पर उगाता है वहीं पर उपयोग हो जाता है। विश्व में उगने वाले कुल धान का करीब पांच प्रतिशत ही दूसरी जगह निर्यात हो पाता है। धान का प्रमुख बड़ा निर्यातक थाइलैंड है जोकि लगभग पचास लाख टन चावल बेचता है, द्वितीय स्थान पर अमरीका आता है जोकि लगभग तीस लाख टन निर्यात करता है और तृतीय स्थान पर वियतनाम है जोकि लगभग बीस लाख टन वार्षिक सालाना धान का निर्यात करता है। एशिया महाद्वीप में औसतन लोग दिन में दो या तीन बार चावल को भोजन के रूप में खाते हैं। एक अनुमान के अनुसार, म्यानमार में प्रत्येक व्यक्ति प्रतिवर्ष औसतन 195 किलोग्राम धान का उपयोग करता है, कंबोडिया तथा लाओस जैसे देशों में यह केवल लगभग 160 किलो है तो वहीं दूसरी ओर, यूरोपीय देशों में प्रत्येक व्यक्ति औसतन 3 किलोग्राम तथा अमेरीका में 7 किलोग्राम धान हर साल खाया जाता है।

विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या वाले देशों-चीन, भारत और इंडोनेशिया में चावल का भोजन में सबसे अधिक का उपयोग होता है। एक अनुमान के अनुसार, पूरे विश्व में चावल की 14,0000 से भी अधिक किस्मों का उत्पादन होता है पर पूरी तरह से सही गणना का अभी तक इंतजार है। धान पर शोध करने पर अंतरराष्ट्रीय जीन बैंक में धान की लगभग 90,000 किस्मों के नमूने इकट्ठे किए जा चुके हैं। विकासशील एशियाई देशों में चावल की पौध को खेतों में रोपने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। या यूं कह सकते हैं कि रोपने वालो को अपनी पीठ तोड़ने के समान श्रम करना है। चूंकि उसे प्रत्येक धान की पौध को अपने हाथों से गीली मिट्टी में लगाना पड़ता है। प्रायः रोपण का कार्य महिलाओं द्वारा ही किया जाता हैं। यद्यपि अमरीका जैसे विकसित देशों में किसान अपने खेतों को समान करने के लिए लेजर द्वारा संचालित मशीनें प्रयोग करता हैं जबकि बीज को खेतों में बिखेरने के लिए वहां पर हवाई जहाज का प्रयोग किया जाता है।

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि धान उगानेवाले देशों में धान के पूरे पौधे के दाम मिलते हैं यानि इसके पौधे के प्रत्येक अंग का पूरा उपयोग होता है। चलिए आपको जानकारी दिए देते हैं धान के पौधे के किस अंग का कहां उपयोग होता हैः

धान का भूसाः धान का भूसा पशुओं के चारे के लिए, ऊर्जा के लिए उपलों में उपयोग, बटकर रस्सी में प्रयोग, ईंट व कागज बनाने में प्रयोग, राइस ड्रैगन बनाने में उपयोग जिसपर रेशम के कीड़ों को पाला जाता हैं और दस्तकारों द्वारा इससे कपड़े, जूते, खिलौने और सजावटी चीजे बनाई जाती हैं। कुछ लोगों की ऐसी भी मान्यता है कि भूसी को जलाने से बनी राख को अगर दांतों पर लगाते हैं तो वो चमकने लगते हैं। चावल के भूसे का उपयोग नाजुक चीजों की पैकिंग में, आग जलाने में और बर्फ को लंबे समय तक बचाने में भी किया जाता है।

चावल के दानेः भोजन में उपयोग होता है। धान के भूसे से निकालकर चावल सीधे खाए जा सकते हैं। लाई और
चूड़ा बनाकर भोजन में उपयोग किया जाता है। पशुओं के चारे के रूप में उपयोग होता है। मांगलिक अवसरों पर धान के दानों को पीसकर चेहरे को सजाया भी जाता है। धान को सड़ाकर शराब तथा बीयर बनती है। चावल के दानों की पॉलिश करते समय जो छिलका उतरता है उसका उपयोग तेल बनाने में किया जाता है। इस तेल से साबुन, कास्मेटिक उत्पाद और स्वास्थ्यवर्द्धक उत्पाद बनाए जाते हैं।

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