मंगलवार, 29 सितंबर 2015

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प्रधानमंत्री का स्किल इंडिया

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अपनी महत्वाकांक्षी योजना ‘‘प्रधानमंत्री कौशल विकास’’ की शुरूआत जुलाई 2015 में कर दी है। इस योजना में अगले एक साल में 24 लाख लोगों और वर्ष 2022 तक 40 करोड़ लोगों को विभिन्न विषयों में प्रशिक्षण देकर उनको हुनरमंद बनाने एवं स्वरोजगार शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करने की योजना है। सरकार द्वारा स्किल डेवलपमेंट के लिए नए मंत्रालय का गठन किया गया है। भारत में वर्ष 2022 तक कामकाजी आयुवर्ग वाले लोगों की संख्या विश्व में सबसे अधिक होगी। फिक्की एवं केपीएमजी ग्लोबल स्किल रिपोर्ट की माने तो यदि इनको समुचित ढंग से प्रशिक्षित किया गया तो यह लोग देश के आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभा सकते हैं लेकिन इसकी राह में अभी अनेक चुनौतियां हैं। वास्तव में, पारंपरिक मानसिकता, अपना स्थान न छोड़ने का इच्छुक होना तथा आरंभ में वेतन में कमी से छात्रों को प्रशिक्षण के लिए तैयार करना एक बड़ी चिंता है।
इसके अलावा, नेशनल सैंपल सर्वे आॅफिस (एनएसएसओ) के ताजा सर्वे, जोकि जुलाई 2011-जून 2012 तक 4,56,999 लोगों पर हुए, में कहा गया है कि

  • देश में प्रत्येक दस वयस्कों में से एक को ही किसी प्रकार का कारोबारी प्रशिक्षण मिला हुआ है। 
  • 15-59 वर्ष की आयु वर्ग में केवल 2.2 फीसदी ही ऐसे लोग हैं जिन्हें औपचारिक रूप से वोकेशनल ट्रेनिंग मिली है जबकि इसी आयु वर्ग के 8.6 प्रतिशत लोगों को अनौपचारिक वोकेशनल ट्रेनिंग मिली है। ऐसे लोग आमतौर पर वे हैं जिन्हें किसी प्रकार का हुनर विरासत में मिला है या जिन्होंने कोई नौकरी करते हुए प्रशिक्षण प्राप्त किया है। 
  • भारत में 90 फीसदी ऐसे लोग हैं जिन्हें कोई वोकेशनल ट्रेनिंग नहीं मिली है। 
  • ग्रामीण क्षेत्रों के 22.3 प्रतिशत पुरुषों ने मोटर मैकेनिक काम को तरजीह दी जबकि शहरी क्षेत्रों में कम्प्यूटर ट्रेड को प्रमुखता देने वाले पुरुषों का प्रतिशत 26.3 था। 
  • ग्रामीण महिलाओं में 32.3 ने सिलाई-कढ़ाई को तरजीह दी जबकि शहरी क्षेत्रों में 30.4 फीसदी महिलाओं ने कम्प्यूटर ट्रेड को प्रमुखता से चुना। 
  • 15 साल से अधिक आयु के मात्र 2.4 प्रतिशत के पास मेडिकल, इंजिनियरिंग या कृषि के क्षेत्र में डिग्री, डिप्लोमा या सर्टिफिकेट है। 
  • ग्रामीण क्षेत्रों में 1.6 पुरुषों की तुलना में 0.9 फीसदी महिलाओं को औपचारिक वोकेशनल ट्रेनिंग मिली, जबकि शहरों में यह प्रतिशत 5 और 3.3 का रहा। 
  • ग्रामीण क्षेत्रों में 11.1 फीसदी पुरुषों के मुकाबले 5.5 प्रतिशत महिलाओं को अनौपचारिक वोकेशनल ट्रेनिंग मिली जबकि शहरों में यह प्रतिशत 13.7 और 4.3 ही रहा। 
  • 5-29 वर्ष के केवल 60 प्रतिशत युवा ही किसी शैक्षिक संस्थान में पढ़ने जाते हैं।  
  • भारत सरकार के आंकड़े बताते हैं कि हमारे देश में आज मात्र 35 लाख लोगों के लिए ही वार्षिक स्किल ट्रेनिंग का प्रबंध है जबकि चीन में प्रतिवर्ष नौ करोड़ लोग स्किल ट्रेनिंग ले रहे हैं। 
  • सीआईआई की इंडिया स्किल रिपोर्ट 2015 की माने तो भारत में हर वर्ष सवा करोड़ शिक्षित युवा रोजगार की तलाश में इंडस्ट्री के दरवाजे खटखटाते हैं लेकिन उनमें 37 प्रतिशत ही रोजगार के योग्य होते हैं। 
  • नासकॉम रिपोर्ट की मानें डिग्री ले लेने के बाद भी केवल 25 प्रतिशत टेक्निकल ग्रेजुएट व लगभग 15 फीसद अन्य स्नातक आईटी और संबंधित क्षेत्र में काम करने लायक होते हैं।
  • वास्तव में जर्मनी, जापान, कोरिया आदि देशों ने अपने इसी स्किल डेवलपमेंट से दुनिया पर अपना दबदबा बनाया है। हमारे देश ने भूमंडलीकरण के दौरान इसके महत्व को समझा तो पर शायद हमारी नींद काफी देर से खुली है। हमारी शिक्षा प्रणाली हमें पढ़ना-लिखना तो सीखती है पर हुनरमंद नहीं। तकनीकी संस्थान हैं तो पर बहुत महंगे हैं। कौशल विकास की बात करने वाले कुछ संस्थानों की नजर तो केवल सरकारी पैसे पर रहती है और पैसा जेब मंे आते ही खानापूर्ति ही रह जाती है। ऐसे में, जरूरी है कि यदि हम स्किल इंडिया को बेहतर तरीके से कार्यान्वित करना चाहते हैं तो पहले हमें शिक्षा के स्वरूप में परिवर्तन करना होगा। आधारभूत स्तर पर व्यावसायिक प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी होगी। स्किल सेंटर्स का नेटवर्क बनाना होगा। स्किल्ड, सेमी-स्किल्ड व अनस्किल्ड वर्ग को प्रशिक्षण स्तर के साथ जोड़ना होगा चूंकि प्रशिक्षण के बाद वेतन-भत्ते न बढ़े तो कोई भला स्किल डेवलपमेंट क्यों करेगा।


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